दुर्मिल सवैया
दुर्मिल सवैया
मनमोहन से मिलना हम को,उन की हर बात गुनें मन से।
उन के उपदेश महान सदा, सुनने चलना हम को तन से।
रसधार स्वभाव भरा उर में, अधरों पर प्रेम बहे सन से।
मधुराग चले मुरली स्वर से,ध्वनि आवत है मधु कानन से।
दुर्मिल सवैया
डटना हटना न कभी मन से, दृढ़ भाव रखो चलते रहना।
हर काम करो प्रिय भाव रखो, समझो सब काम सदा सुगना।
मत छोट गनो हर काम भला, सब का कर सेवन शांत बना।
रहना करते खुद काम सदा, मनभावन काम किया करना।
Sachin dev
06-Jan-2023 06:03 PM
Nice
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Gunjan Kamal
05-Jan-2023 08:45 PM
बेहतरीन
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